Loan क्या है और कितने प्रकार के होते हैं?
किसी को कुछ खरीदने के लिए, किसी काम को करने के लिए, Business को बढ़ाने के लिए, या किसी personal काम के लिए BANK या किसी Financial Institute से ली जाने वाली वित्तीय मदद को लोन कहते हैं। उसके बदले में बैंक या किसी Financial company को EMI के रूप में ब्याज के साथ loan का पूरा पैसा वापस कर देते हैं
तो आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं कि इंडिया में Bank या किसी Financial Institute कितने तरह के लोन प्रोवाइड करते हैं। चलिए जानते हैं-
Loan कितने प्रकार के होते हैं(How many types of loan)
Time period के अनुसार loan तीन प्रकार के होते हैं।- शॉर्ट टर्म लोन(Short Term Loan) - इसमे पैसा चुकाने का समय 1 शाल से कम होता है।
- मीडियम टर्म लोन (medium term loan) - इसमे पैसा चुकाने का समय 1-5 शाल के बीच होता है।
- लॉन्ग टर्म लोन (Long Term Loan) - जिसमें पैसा लौटाने का समय 5 शाल ज्यादा का होता है उसे long term loan कहते हैं।
India मे Banks और financial Institute कितनी तरह के Loan प्रदान करते हैं?
1. Personal Loan
2. गोल्ड लोन (Gold Loan)-
गोल्ड लोन आपको बैंक में गोल्ड रखने के बदले में Cash लेने वाला प्रोसेस होता है। गोल्ड को बैंक के लॉकर में रखना होता है जमा किए गए गोल्ड के क्वालिटी और प्राइस के अनुसार Loan मिलते हैं। बैंक आपको गोल्ड के 80 परसेंट कीमत तक लोन दे देते हैं। गोल्ड लोन आमतौर पर इमरजेंसी नीर्श को पूरा करने के लिए लेते हैं। गोल्ड लोन पर दिया जाने वाला ब्याज दर पर्सनल लोन की तुलना से काफी कम होता है आज के समय में SBI 11 परसेंट तक "GOLD LOAN" पर सालाना इंटरेस्ट वसूल रहा है जबकि एचडीएफसी बैंक 10 परसेंट पर इंटरेस्ट वसूल रहा है।
3. सिक्योरिटी के बदले मिलने वाले लोन( loan against securities) -
इसमें बैंक आपके सिक्योरिटी पेपर को रख के लोन देता है मगर सवाल यह उठता है। कि सिक्योरिटी पेपर क्या होता है?
अगर आप डिमांड शेयर, म्यूच्यूअल फंड(Mutual Fund ) इंश्योरेंस(Insurance) स्कीम बांड के पहले से इन्वेस्ट कर रखा है। तो यही आपका सिक्योरिटी पेपर होता है, इसके बदले बैंक आपको बैंक लोन दे देता है। इन सभी पेपर की वैल्यू होती है। अगर आप लोन चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं, तो बैंक आपका पेपर को जप्त कर लेता है और उसे बाजार में बेच देता है। आप इन सभी सिक्योरिटी पेपर को बैंक में गिरवी रख सकते हैं। बैंक आपको इस पेपर के आधार पर आपको ओवरड्राफ्ट का फैकेल्टी देता है।
Overdraft Facility in Hindi
ओवरड्राफ्ट का मतलब होता है, कि जितने पैसे आपके अकाउंट में है उससे ज्यादा पैसे निकालने का सुविधा देता है। अगर आपके अकाउंट में जीरो बैलेंस है तब भी आप अपने अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं इसी को ओवरड्राफ्ट कहा जाता है।
4. property loan-
प्रॉपर्टी लोन क्या है? कि जो आपके प्रॉपर्टी का कागजात गिरवी रख कर पैसे देता है वही प्रॉपर्टी लोन होता है। यह ज्यादा से ज्यादा 15 साल तक मिल सकता है। आमतौर पर प्रॉपर्टी के जो कीमत होती है उसके 40 से 60 परसेंट तक के लोन मिल जाता है।
5. होम लोन(Home Loan) -
घर खरीदने के लिए जो लोन लिया जाता है, वह होम लोन होता है आप सिर्फ घर बनाने के लिए ही लोन नहीं लेते हैं बल्कि आप घर बनाने के कीमत मकान का रजिस्ट्रेशन स्टांप ड्यूटी वगैरा के खर्च को जोड़ करके बैंक से लोन ले सकते हैं। बैंक आप के खर्चे का कुल राशि का 70% से 85% तक लोन दे सकती है। बाकी पैसे का जुगाड़ घर बनाने के लिए आपको खुद ही करना होता है। मान लीजिए अपने प्लॉट के लिए लोन लिया इसकी कीमत 6 लाख है। आप बैंक को सिर्फ छह लाख का 30% यानी 1 लाख 80 हजार रुपये देंगे और बाकी का रकम आप धीरे धीरे धीरे चुकाते रहेंगे। होम लोन चुकाने का टाइम पीरियड 5 साल से 20 साल तक हो सकता है। होम लोन के शब्दों में ब्याज के अलावा कुछ फीसदी शामिल होती है। जैसे कि processing fee, Administrative Charge , Leagal fee, असेसमेंट फीस वगैरह वगैरह।
➤इसे भी पढ़े : बीमा क्या है और कितने प्रकार के होते हैं?
6. एजुकेशनल लोन(Educational Loan) -
हर merit Student के नसीब में नहीं होता है कि वह मनचाहे स्कूल में पढ़ाई कर पाए। कोई Oxford University करना चाहता है तो उसे पैसे की प्रॉब्लम आ सकती है वहां की फीस ईतनी है कि वहां जाकर पढ़ाई करने के बारे में सोचना काफी मुश्किल काम है। ऐसी सिचुएशन में बैंक से एजुकेशनल लोन अप्लाई कर सकते है। बैंक एजुकेशन लोन देने से पहले उसकी पेमेंट सिक्योर करता है देखा गया है कि लोन सिर्फ उन्हें छात्र को दिया जाता है। जो इसे वापस करने का कैपेसिटी रखते हैं स्टूडेंट की कैपेसिटी की जांच बैंक दो तरह से करते हैं। या तो उसके गार्जियन के इनकम को देखा जाता है।या फिर लोन लेने वाले स्टूडेंट के किस यूनिवर्सिटी में जा रहे हैं।वहां से पढ़कर वह कमाएंगे या नहीं कमाएंगे। वहां केंपस सिलेक्शन का रेशियो क्या है? यह सब देख कर ही बैंक लोन प्रदान करती है। पढ़ाई खत्म करने के बाद student repayment कर सकता है। Education Loan लेने के लिए एक ग्रांटेड की भी जरूरत पड़ती है। Grunter लोन लेने वाले की गार्जियन या फिर रिश्तेदार भी हो सकते हैं। आज के डेट में SBI 7.50 लाख से ऊपर एजुकेशन लोन के लिए 10.70% और 9.10% इंटरेस्ट चार्ज कर रहा है।
7. वाहन या कार लोन(Vehicle or Car Loan) -
बैंक ऑफिसर कार खरीदने के लिए लोन के तौर पर तरह-तरह के स्कीम देते रहते हैं। यह लोन बाकी दूसरे लोन की तरह अलग अलग समय के लिए फिक्स्ड(fixed) या फ्लोटिंग(floating) रेट पर दिए जाते हैं। फिक्स्ड रेट का मतलब होता है Fixed Interest Rate. जब आप लोन ले रहे होते हैं तो जो ब्याज दर लागू होती है। वहीं ब्याज दर पूरे लोन को चुकाने तक लागू रहती है। फ्लोटिंग रेट(floating rate) floating intrest rate वह रेट होता है। जो समय-समय पर बदलते रहते हैं, और उसी के अनुसार आपके लोन के इंटरेस्ट कम या ज्यादा होती है। बैंक आपको लोन देने से पहले ही पूछ लेती हैं। कि आप किस रेट पर लोन लेना चाहते हैं। जब तक लोन का पूरा पेमेंट नहीं हो जाता है। तब तक कार पर मालिकाना अधिकार बैंक का ही होता है। आपको बैंक में आपका सैलरी स्लिप और पिछले 2 या 3 साल का इनकम टैक्स रिटर्न जमा करना पर सकता है। इसके अलावा कोई आईडी प्रूफ भी आपको जमा करना पड़ता है। नई कारों पर interest rate और दूसरे उपयोग की हुई कार के intrest rate से अलग होता है।
8. कार्पोरेट लोन (corporate loan) -
बैंक जब बड़े खिलाड़ी जैसे नीरा मोदी, विजय माल्या, अंबानी, टाटा, बिरला को लोन मुहैया कराता है। तो उसे कारपोरेट लोन कहते हैं। अभी के नियम के अनुसार बैंक अपने कोर कैपिटल का 55% तक किसी बड़ी कंपनी को लोन दे सकते हैं। हाल ही में हुए रिपोर्टर्स को अनुसार RBI ने कहा कि अब यह सिर्फ 25% तक ही दे सकती है।
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी बॉक्स में कोई स्पैम लिंक या आपतिजनक बाते दर्ज न करें।